History/City Profile
बाँसवाड़ा दक्षिण राजस्थान का जिला मुख्यालय है। बांसवाडा शहर संभागीय मुख्यालय उदयपुर से 165 कि.मी. की दूरी पर नेशनल हाईवे निम्बाहेडा दाहोद 113 पर स्थित है। शहर में स्टेट हाईवे नम्बर 32 राज्यमार्ग संख्या 10 शहर के मध्य से गुजर रहा है। बांसवाडा शहर डूंगरपुर-रतलाम-प्रतापगढ-दाहोद जिलो से जुडा हुआ है। नगर समुद्र की सतह 218 मीटर उॅचाई पर स्थित है। बांसवाडा के सबसे समीप रेल्वे स्टेशन 80 कि.मी. दूर रतलाम है तथा हवाई अड्डा 172 कि.मी. उदयपुर (डबोक) में है। बांसवाड़ा शहर में वर्षा औसत 922.00 मी.मी. हैं। जिसके कारण इसे राजस्थान का चिरापूंजी के नाम से जाना जाता है।
बांसवाड़ा में सन् 1904 में नगरपालिका कार्यालय की स्थापना की गई थी। वर्ष 1901 में शहर की जनसंख्या 7040 थी जो कि 2011 में बढ़कर 1,01,017 हो गई है। अरावली पर्वत श्रृंखला की हरी-भरी वादियों में यह कस्बा स्थापित है। तत्कालिन महारावल जयसिंहजी ने इसे सन् 1549-50 में बसाया था। बीसवीं शताब्दी से पूर्व तक शहर का विस्तार शहर कोट के अंदर ही था। सन् 1919 में शहर के मध्य प्रवाहित कागदी नदी पर एक पुल बनने के पश्चात् शहर के कोट के बाहर नदी के दूसरी ओर विकास हुआ। सन् 1950 में माही बजाज सागर प्रोजेक्ट आंरभ होकर सन् 1983 में माही प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ इसको भारत की तत्कालिन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 31.10.1983 को राष्ट्र को समर्पित किया। इस प्रोजेक्ट में खान्दू ग्राम डूब में आने से पुनर्वास के रूप में बांसवाड़ा कस्बे में स्थापित करने से शहर में विकास की गतिविधियाँ तीव्र हुई।
राज्य सरकार द्वारा नगर पालिका बांसवाड़ा को दिनांक 30 अप्रेल 2012 को क्रमोन्नत कर नगर परिषद् बनाया गया। इसमें कुल 40 वार्ड है। वर्तमान बोर्ड दिनांक 1 दिसम्बर 2009 को गठित हो कर कार्यरत है। जिसमें सभापति, उपसभपति के अतिरिक्त 39 पार्षद है। जनसंख्या एक लाख से अधिक होने पर राज्य सरकार के निर्देशानुसार नगर पालिका चुनाव नम्बर 2014 हेतु 45 वार्ड के पुनर्गठन के प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाये गये है।
नगर परिषद् बांसवाडा का मास्टर प्लान 13.06.2013 को राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है इसमें कुल 39 गांव नगरीय क्षैत्र में शामिल किये गये है एवं 5 गांव नगर परिषद् की सीमा में तथा 34 गांव पैराफैरी क्षेत्र में स्थित है बांसवाडा क्षेत्र का अधिकतम विकास दाहोद, डुंगरपुर, उदयपुर, रोड पर हो रहा है बांसवाडा में डुंगरपुर-रतलाम रेलवे लाईन का कार्य आरंभ हो चुका है भूमि आवाप्ति एवं ट्रेक बनाने का कार्य प्रगति पर है रेलवे स्टेशन दाहोद-डुंगरपुर रोड के मध्य प्रस्तावीत है।
बांसवाडा जिले में फेफर थर्मल पावर प्लान, न्युक्लियर पावर प्लान्ट प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। बांसवाडा के विकास को ध्यान में रखते हुए शहर को सुनियोजित ढंग से विकसीत करना अत्यन्त आवश्यक है।
धार्मिक दृष्टि से भी बांसवाड़ा का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यहां से 18 कि.मी. दूरी पर प्रसिद्ध त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर स्थित है एवं बारह शिवलिंग की उत्पत्ति के कारण इस धर्म नगरी को लघुकाशी से भी पुकारा जाता है। जिले में मानगढ़धाम एवं बेणेश्वरधाम त्रिवेणी संगम स्थल भी बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
बांसवाड़ा से 45 कि.मी. की दूरी पर अरथूना में 2500 वर्ष पुराना गांव निकला है। जिसकी पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई करवायी जा रही है।