History/City Profile
रामगंजमण्डी’ कोटा जिले का एक तेजी से विकास करता हुआ नगर है, जो वर्ष 1975 से उपखण्ड़ मुख्यालय के रूप में कार्यरत् है। यह नगर जिला मुख्यालय कोटा से लगभग 73 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित है। यह दिल्ली-मुम्बई बड़ी रेलवे लाईन का एक मुख्य स्टेशन है। रामगंजमण्डी वर्ष 2013 मे ही रेलवे लाईन द्वारा झालावाड़ से जुड़ा है। राष्ट्रीय राजमार्ग-12 इसके पूर्व में लगभग 10 किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरता है एवं राज्य-राजमार्ग 9बी व राज्य-राजमार्ग 9ए कस्बे के मध्य से गुजरते है, जो कि रामगंजमण्डी को मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के मुख्य नगरों से जोड़ते है। इस नगर की सीमा से हाड़ौती क्षेत्र प्रारम्भ होता है तथा मालवा क्षेत्र की सीमा समाप्त होती है।
भविष्य के विकास का अन्दाजा लगाकर भूतपूर्व कोटा स्टेट के महाराव श्री रामसिंह जी ने इस स्टेशन पर बस्ती बसाने का काम लगभग 100 वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया था।
भौगोलिक स्थिति के कारण यह नगर स्वतन्त्रता के समय से पूर्व ही काफी तीव्रता के साथ विकास कर चुका था। कालान्तर में इस नगर का विकास होता गया। यहाँ की भूमि उपजाऊ है। उस समय तत्कालीन परिस्थितियों में यहाँ कपास की खेती अधिक मात्रा में होती थी। अमूल्य कृषि एवं खनिज उत्पाद जैसे - धनिया, सोयाबीन, चूना पत्थर व कोटा स्टोन इस क्षेत्र के मुख्य उत्पाद हैं, जो यहाँ की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाते हैं। इस प्रकार धीरे-धीरे यह स्थान व्यापारिक एवं व्यावसायिक मण्डी का रूप लेता गया।
वर्ष 1912 में रेलवे लाईन से जुड़ने के बाद यह नगर व्यापार और वाणिज्यक, विनिर्माण व प्रशासनिक मुख्यालय का नया केन्द्र बना। इससे पूर्व तहसील का कार्यालय खैराबाद में था। वर्ष 1910 से वर्ष 1912 मंख एक जिनिंग फैक्ट्री स्थापित हुई। विभिन्न उपयोगों हेतु भूखण्डों का आवंटन वर्ष 1918 से प्रारम्भ हुआ। चिकित्सालय व पुलिस चैकी वर्ष 1930 से 1935 के मध्य में स्थापित हुई। उच्च माध्यमिक विद्यालय वर्ष 1942 से 1945 के मध्य निर्मित हुआ। नगर पालिका का गठन 1934 मे हुआ और इसका वर्तमान भवन वर्ष 1947 में निर्मित हुआ। नगर में मुख्य विकास कार्य वर्ष 1960 के बाद हुए परिणाम स्वरूप तहसील मुख्यालय खैराबाद से रामगजमंडी स्थानान्तरित हुआ। विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यालय जैसे - उपखण्ड अधिकारी, अदालत आदि स्थापित हुए और कुछ रिहायशी क्षेत्र रेलवे लाईन के पार स्थापित हुए। वर्ष 1960 से नगर का विकास वास्तविक नियोजित परिसीमा में हुआ। तत्पश्चात् 1970 मे ए.एस.आई. समूह ने नगर पालिका की सीमा के बाहर सुकेत सड़क पर पूर्व दिशा में कुदायला गाँव के समीप एक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया। कृषि उपज मण्डी वर्ष 1973 में स्थापित हुई। बढ़ती औद्योगिक माँग के साथ रीको ने ए.एस.आई. परिसर के समीप एक नया औद्योगिक क्षेत्र वर्ष 1979 में विकसित किया। इसके अतिरिक्त बड़े बाजारों की आवश्यकताओं के विकास और नगर की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक औधोगिक क्षेत्र कुम्भकोट सड़क पर स्थापित किया गया। इस क्षेत्र में 1970-1990 के दौरान काफी संख्या में निजी औद्योगिक इकाईयाँ कोटा स्टोन की कटिंग एवं पाॅलिशिंग का कार्य कर रही थी। नया नगर ग्रिड़ चोखाना तर्ज में आयताकार आकार के साथ आवश्यक चैड़ाई की सड़कों व निरन्तर इमारतों के खण्डों व चैपड़ इत्यादि के साथ बसाया गया। पूर्व दिशा में 3 किमी दूरी तक रीको औद्योगिक क्षेत्र एवं काफी संख्या में निजी औद्योगिक इकाईयों का विकास हुआ। पत्थर की प्रचुरता के कारण सुकेत रामगंजमण्डी सड़क पर रेखीय विकास की आकृति का अनुसरण करते हुए बड़ी संख्या में निजी कोटा स्टोन कटिंग एवं पोलिशिंग इकाईयाँ स्थापित हुई। इस प्रकार पुराना रामगंजमण्डी नगर फैलकर तीन भागों में बँट गया यथा पश्चिम में खैराबाद सड़क स्थित ए. एस. आई. टाउनशिप एवं दक्षिण-पूर्व में रीको औद्योगिक क्षेत्र, ए.एस.आई ओद्योगिक क्षेत्र तथा मध्य में रामगंजमण्डी नगर ।
नगर की जनगणना का कार्य वर्ष 1951 से शुरू किया गया, जब इसकी जनसंख्या 5111 थी, जो कि वर्ष 1981 में बढ़कर 15534 हो गयी एवं साथ ही खैराबाद की 8016 जनसंख्या भी रामगंजमण्डी के नगरीय विस्तार के साथ जुड़ गयी।